सच मानो हमारे देश के तीव्र और व्यापक विकास मे यही सबसे बड़ा बाधक है तभी अज़ादी के इतने सालों बाद भी हम विभिन्न कठिनाइयों भूखमरी पिछड़ेपन और असमानता से जूझ रहे हैं और बाकी के देशों की तुलना में तकनीकी शिक्षा रोजगार और पूंजी निवेश में बहुत पीछे रह गए हैं। जो देश कभी तकनीकी शिक्षा चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में विश्व गुरु कहलाता था यकीन मानिए धर्म ही इस को इतना पीछे कर दिया कि हम उसको भी धर्म से जोड़कर और उसे धर्म मानकर उसके आगे सोचना ही छोड़ दिया क्यो कि ये तो आप भी जानते होंगे कि धर्म में तर्क करने की मनाही है, और बिना तर्क के तार्किक सोच आगे का विकास का रास्ता ही बंद हो जाता है। और यही वजह है कि उस समय का विश्व गुरु उसके आगे सोच ही नहीं पाया।
अगर ये समाज धर्म की वजह से विभिन्न जातियों वर्गों में विभाजित नहीं होता तो शायद कोई भी विदेशी ताकत इस देश को कभी भी गुलाम नही बना पाती क्यों कि धार्मिक छुआछूत और ऊंच नीच ने इस देश के लोगों को कभी एक नहीं होने दिया।