14 अक्टूबर 1956 को नागपुर शहर में डॉ भीमराव आंबेडकर ने ख़ुद और अपने समर्थकोें के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी।वैसे बाबा साहब पहले ही अपनी पत्नी सविता औैर कुछ करीबी लोगों के साथ कुशीनगर के भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा पारंपरिक तरीक़े से त्रिशरण और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धम्म ग्रहण कर चुके थे। लेकिन अपने अनुयायियों के लिए उन्होंने नागपुर में खास कार्यक्रम रखा। इसके बाद उन्होंने अपने पाँच लाख अनुयायियों को त्रिशरण, पंचशील और 22 प्रतिज्ञाएँ देते हुए नवयान बौद्ध धम्म में परिवर्तित किया। तब से हर साल इस दिन नागपुर में धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया जाता है।

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