डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 50 विचारों का संग्रह

डॉ. भीमराव आम्बेडकर के 50 विचारों का संग्रह 




1. ऐसा वक्त आ सकता है।
जब हम अन्याय रोकने में असमर्थ हों !
मगर ऐसा वक्त कभी नहीं आना चाहिए ! जब हम विरोध करने में नाकाम हो ।

डॉ. भीमराव आंबेडकर
2. बेईमान राजा और सोई हुई प्रजा दोनों देश के लिए घातक है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर

3. मेरे इतना उच्च विद्या विभूषित होने के बाद भी अज्ञानी जातिवादी लोग जब मुझे इतना छलते हैं, तो मेरी गरीब अशिक्षित जनता के साथ क्या नहीं होता होगा ?

डॉ. भीमराव आंबेडकर


4. बंदूक से ज्यादा विचार घातक होते हैं। बंदूक देना आसान है, किन्तु बुद्धि देना कठिन।

डॉ. भीमराव आंबेडकर 


5. भौतिक गुलामी से मानसिक गुलामी ज्याादा खतरनाक है ।

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर


6. वर्ण व्यवस्था और जातिवाद ने इस देश में मानवी सदाचार का भी संहार कर दिया है, जो अत्यंत खेदजनक है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर 


7. जब पढ़े-लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगें तो यह समाज की सबसे बड़ी समस्या है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर


8. हिंदू समाज एक मीनार है और हर जाति एक एक मंज़िल है। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि इस मीनार में सीढियां नहीं हैं। एक मंज़िल से दूसरी मंज़िल तक जाने का रास्ता नहीं है। जिस मंज़िल पर आपका जन्म होता है, उसी मंज़िल पर आपको मारना है।

डॉ. भीमराव आम्बेडकर
' मूकनायक ' समाचार पत्रिका


9. अन्याय से लड़ते हुए आपकी मौत हो जाती है, तो आपकी आने वाली पीढ़ियां उसका बदला जरूर लेंगी,
अगर अन्याय सहते हुए आपकी मौत हो जाती है, तो आपकी आने वाली पीढ़ियां भी गुलाम बनी रहेंगी।

डॉ. भीमराव आंबेडकर



10. एक हिंदू के लिए उसकी जाति ही उसका समाज है। उसकी जिम्मेदारी सिर्फ उसकी जाति के प्रति है। उसकी वफादारी उसकी जाति तक सीमित है।


11. शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।

डॉ. भीमराव आंबेडकर


12. मै दिलों - दिमाग से ब्राह्मणों की दासता से मुक्त हो चुका हूं। मैंने उस जाति की हर चतुराई को जाना है। समाज पर हमेशा अपना वर्चस्व रहे इसके लिए इस जाति का एक ही काम है, कि लोगों को हमेशा गुमराह करते रहो। यह बात आपको बताकर आपको उनसे दूर रखना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है।

डॉ भीमराव अम्बेडकर 
संदर्भ : मई 1926 रहिमतपुर, कोरेगांव




14. जाति कोई ईंटों की दीवार या कोई कांटों का तार नहीं है, जो हिंदुओं को आपस में मिलने से रोक सके। जाति एक धारणा है। जो मन की एक अवस्था है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर

15. हिंदू समाज में अस्पृश्यता की भावना ने इतनी दूरी पैदा की है कि, अछूत लोग हिंदू समाज से होते हुए भी वे हिंदू समाज से बाहर लगते हैं।

डॉ. भीमराव आंबेडकर
संदर्भ : बहिस्कृत भारत, ३ अप्रैल १९२७
16. हमारे पास यह आजादी इसीलिए है, ताकि हम उन चीजों को सुधार सके जो सामाजिक व्यवस्था, असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हैं, जो हमारे मौलिक अधिकारों की विरोधी है ।

डॉ. भीमराव आंबेडकर


17. तुम्हारे मुक्ति का मार्ग मंदिर और धर्मशास्त्र में नहीं हैं, बल्कि उच्च शिक्षा, व्यवसायी बनाने वाले रोजगार, उच्च आचरण और नैतिकता में है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर 
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18. वर्णव्यवस्था से ज्यादा पतनशील सामाजिक व्यवस्था और कोई नहीं हो सकती, जो लोगों के बीच सहयोग को रोकती है।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर


19. कलम और कागज की ताकत दुनिया की हर ताकत से बड़ी है, एक रोटी कम खाओ पर बच्चों को जरूर पढ़ाओ।

डॉ अम्बेडकर


20. तुम्हारे पैरों में जूते भले ही ना हो, पर तुम्हारी हाथों में किताब जरूर होनी चाहिए।

डॉ. बी आर अम्बेडकर


21. यदि हिंदू राज की स्थापना सच में हो जाती है तो निसंदेह यह इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होगा। 

डॉ. भीमराव अम्बेडकर
22. जाति व्यवस्था के अंत का मतलब अंतर्जातीय भोज या अंतर्जातीय विवाह नहीं बल्कि उन धार्मिक धारणाओं का नाश है जिन पर जाति व्यवस्था टिकी है।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर

23. हमारी मुख्य समस्या हमारी गरीबी नहीं है,
बल्कि धर्म और समाज है जिसमें जाति के आधार पर हमारा धार्मिक, सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक शोषण हो रहा है।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर

24. भारत के गांव जातिवाद के कारखाने हैं।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर


25. अछूतपन शाखात्मक नही बल्कि भावात्मक है। इसलिए उसे समाप्त करने के लिए, शाखाओं पर वॉर करने के बजाय भावनाओं को नष्ट करना होगा।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर


डॉ. आंबेडकर का मानना था-

26. सही मायने में प्रजातंत्र तब आएगा, जब महिलाओं को पिता की संपत्ति में बराबरी का हिस्सा मिलेगा. उन्हें पुरुषों के समान अधिकार मिलेंगे. महिलाओं की उन्नति तभी होगी, जब उन्हें परिवार-समाज में बराबरी का दर्जा मिलेगा. शिक्षा और आर्थिक तरक्की उनकी इस काम में मदद करेगी.
27. तुम किताबों के सामने झुक जाओ, ये तुम्हारे सामने दुनिया झुका देगी।

~डॉ•भीमराव अम्बेडकर✍️

28. "अगर आप में गलत को गलत कहने की क्षमता नहीं है, तो आपकी प्रतिभा व्यर्थ है।"


29. मैं किसी समुदाय की प्रगति, उस समुदाय में महिलाओं द्वारा की गई प्रगति से मापता हूं। – बाबा साहेब अंबेडकर


30. जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं तब सिर्फ एक आदमी शिक्षित होता है,
लेकिन जब आप एक स्त्री को शिक्षित करते हैं तब एक पीढ़ी शिक्षित होती है।
महिला दिवस की हार्दिक बधाई…


31. गुलामो का कोई उत्सव नहीं होता वो शासक वर्ग द्वारा थोपे गये त्यौहार को ही बिना सोचे मूर्खो की तरह मनाते हे ।

डॉ. भीमराव अंबेडकर

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32. हमारे समाज की शिक्षा में कुछ प्रगति हुई है। शिक्षा प्राप्त करके कुछ लोग उच्च पदों पर पहूँच गये हैं परन्तु इन पढ़े लिखे लोगों ने मुझे धोखा दिया है। मै आशा कर रहा था कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे समाज की सेवा करेंगे, किन्तु मै देख रहा हूँ कि छोटे और बडे क्लर्कों की एक भीड़ एकत्रित हो गई है, जो अपनी तौदें (पेट) भरने में व्यस्त हैं।

33. तुम्हारा अंधविश्वास ही तुम्हारी गरीबी और गुलामी का कारण हैं।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर

34. शिक्षा वह दरवाजा है जिसे खोल आप तरक्की के सारे रास्ते खोल सकते हैं।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर

35. “इस पूरी दुनिया में गरीब वही है, जो शिक्षित नही है।”

- डॉ. भीम राव अंबेडकर

36. जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती, वह कौम कभी भी इतिहास नहीं बना सकती।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर
37. तुम मुझे मूर्तियों में ढूंढ रहे हो, पर मै तुम्हें किताबों में मिलूंगा....

डॉ. भीमराव अम्बेडकर
38. “जो धर्म जन्‍म से एक को श्रेष्‍ठ और दूसरे को नीच बनाए रखे, वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।“ 
~ डॉ. भीम राव अम्बेडकर

39. अपने भाग्य के बजाए अपनी मजबूती पर विश्वास करो।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर

40. धर्म, मनुष्य के लिए है, न कि मनुष्य, धर्म के लिए!

- डॉ. भीमराव अंबेडकर

41. जिन धार्मिक धारणाओं पर यह जाति व्यवस्था टिकी हुई है, उन्हें मिटाए बिना जाति को तोड़ना संभव नहीं है।"

डॉ भीमराव अम्बेडकर

42. “संसद के अंदर तुम्हारी भीड़ नहीं है तो संसद के बाहर इतनी भीड़ जमा कर दो की संसद के अंदर वाले हिल जाएं।”
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

43. जब तक मानोगे नहीं तब तक ईश्वर दिखेगा नहीं, ये उनकी शर्त है, और जब तक वह दिखेगा नहीं तब तक मैं मानूंगा नहीं, ये मेरी शर्त है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर

44. मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ...!

डॉ. भीमराव आंबेडकर




45. मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।

डॉ. भीमराव आंबेडकर





46. मानवता के बिना, आपकी महिमा बेकार है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर




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