ई० वी० रामासामी पेरियार के विचारों संग्रह
1. मानव निर्मित देवता उत्पीड़न के औज़ारों से अधिक कुछ नहीं हैं।
2. किसी समाज की ताकत उसके सभी सदस्यों के साथ एक समान व्यवहार करने की उसकी क्षमता में निहित होती है।
पेरियार
3. कहीं कोई भी जाति नहीं होनी चाहिए, किसी को भी खुद को जन्म के आधार पर बड़ा या छोटा कहने का हक नही होना चाहिए हम बस यही चाहते हैं, और
हमारा यह चाहना गलत कैसे हो सकता है..?
पेरियार
4. जाति का समूल नाश तभी संभव है,
जब इन चारों (ईश्वर, धर्म, शास्त्र और ब्राह्मणवाद) का नाश हो।
पेरियार
5. हर व्यक्ति को स्वतंत्र और समान रहना चाहिए । ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए जाति को मिटाना होगा।
ई वी रामासामी पेरियार
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6. सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं तो अकेले ब्राह्मण उच्च व अन्य को नीच कैसे ठहराया जा सकता है? "
7. छूआछूत को बनाने वाला अगर ईश्वर है, तो हमें उस ईश्वर को ही नष्ट कर देना चाहिए। यदि ईश्वर इस परंपरा से अनजान है तो उसका और भी जल्दी उच्छेद होना चाहिए। यदि वह इस अन्याय को रोकने में असमर्थ है तो इस दुनिया में उसका कोई काम नहीं है।
- पेरियार, कुदीआरसु, 17 फरवरी, 1929
8. आप धार्मिक व्यक्ति से किसी भी तर्कसंगत विचार की उम्मीद नहीं कर सकते।
- पेरियार
9. जो धर्म तुम्हें नीच ठहराता है, तुम उस धर्म को लात मार दो।
10. जब तक भारतीय समाज में जातियों का पदक्रम बना रहेगा तब तक यह संभावना भी रहेगी कि इस पदक्रम की हर सीढ़ी पर खड़ी जाति, अपने से नीची सीढ़ी की जाति का दमन करने का प्रयास करेगी
- पेरियार
11. "चूंकि हमारी महिलाएं ज्यादातर कलात्शेपम (धार्मिक प्रवचन) में भाग लेती हैं, इसलिए वे ब्राह्मणवादियो के झूठे और काल्पनिक प्रचार से अंधविश्वास, अंध विश्वास और अनैतिकता का शिकार हो गई हैं।" - पेरियार ई.वी. रामासामी, E. V. Periyar
12. मानव जाति के होने के बावजूद भी मानव मानव से पूछते हैं, आप कौन सी जाति के हो ?
मानव को मानव नहीं दिखता ।
रामासामी पेरियार
13. ईश्वर अगर होता तो वह उसके ही अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले नास्तिकों को पैदा नहीं करता।
- पेरियार
14. देश की बर्बादी का हर वह व्यक्ति जिम्मेदार है जिसे लगता है कि शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार से ज़्यादा महत्वपूर्ण धार्मिक मुद्दे है!
पेरियार