कबीर दास जी के दोहे

देख कबीरा दंग रह गया मिला न कोई मीत,
मंदिर मस्जिद के चक्कर में खत्म हो गई प्रीत।

कबीर

पाहन पूजे हरि मिले,
तो मैं पूजूँ पहार।
ताते ये चाकी भली,
पीस खाय संसार॥

— कबीर


कांकर पाथर जोरि के,

मस्जिद लई चुनाय।

ता उपर मुल्ला बांग दे, 

क्या बहरा हुआ खुदाय।।


— कबीर


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