मर्दाना कमजोरी से रंगी हुई है शहर के दीवारें और तुम कहते हो औरतें कमजोर है...
पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्या, आप किसी भी दिशा में चले जाइए, दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर बता रही हैं कि गुप्त रोगी कहां मिलें? ज्यादातर में पता लिखा होगा- अमरोहा। उसमें भी पानी की टंकी के पीछे, ट्रांसफार्मर के पास या फिर स्टेशन के पीछे। नामर्द बनें मर्द, शुक्राणुओं का सफल इलाज, बेऔलाद मिलें, मर्दाना ताकत पाएं, बांझपन का पक्का इलाज। दीवारों पर लिखे ये दावे कितने सच हैं, इसकी जांच तो होनी ही चाहिए, लेकिन बांझपन, बेटे की चाहत और मर्द बनाने के दावे समाज को बांटने का प्रचार भी कर रहे हैं, जिसपर रोक भी लगनी चाहिए। पश्चिमी यूपी की दीवारें देखकर लग रहा था कि यहां दीवारें बाद में बनती होंगी, ईंटों पर छपकर पहले आता होगा- 'शफाखाना।' इन दीवारों को देखकर लगता है, देश में कोई महामारी फैली हुई है। या देश की सबसे बड़ी समस्या ये रोग ही हैं। वो भी तब जब देश की आबादी नंबर वन की दौड़ में चीन से मुकाबला कर रही है।
गुप्त रोग
'खानदानी शफाखाना' फिल्म के ट्रेलर में सोनाक्षी सिन्हा का डायलॉग है, 'सेक्शुअल डिसऑर्डर बन गया है गुप्त रोग, और सेक्स हो गया है गुप्त ज्ञान।' इसी सेक्शुअल डिसऑर्डर का खौफ इतना भर दिया गया है कि लोग सेक्सोलॉजिस्ट के पास ना जाकर छिप छिपकर दवाखानों के चक्कर लगाते हैं। अमरोहा में हर मोहल्ले में शफाखाना नजर आता है। वो भी खानदानी। तीन-तीन सौ साल पुराने होने का दावा। पिता बैंक बैलेंस या प्रॉपर्टी बच्चों को देते हैं, लेकिन अमरोहा में लगता है कि हकीमी सौंपी जाती है।