ओम प्रकाश वाल्मीकि की कविता और विचार


वे नहीं जानते थे क़वायद करना लूटना निर्बल और असहाय की!

नहीं जानते थे हत्या करना वीरता की पहचान है लूट-खसोट अपराध नहीं संस्कृति है।

कितने मासूम वे मेरे पुरखे जो इंसान थे लेकिन अछूत थे!

ओमप्रकाश वाल्मीकि

स्वीकार्य नहीं मुझे जाना मृत्यु के बाद तुम्हारे स्वर्ग में वहां भी तुम पहचानोगे मुझे मेरी जाति से ही ।

- ओमप्रकाश वाल्मीकि

कभी सोचा है गंदे नाले के किनारे बसे वर्ण-व्यवस्था के मारे लोग इस तरह क्यों जीते हैं? तुम पराए क्यों लगते हो उन्हें कभी सोचा है?

ओम प्रकाश वाल्मीकि

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