"पृथ्वी सांप के सिर पर नहीं बल्कि दलित और मजदूर वर्ग के लोगों के बल पर संतुलित है।"
अन्नाभाऊ साठे
जाति असली है, गरीबी कृत्रिम है गरीबी मिटाई जा सकती है, जाति मिटाना हम सबका काम है।
अन्ना भाऊ साठे
“आगे बढ़ो! जोरदार प्रहार से दुनिया को बदल डालो । ऐसा मुझसे भीमराव कह कर गए हैं । हाथी जैसी ताकत होने के बावजूद गुलामी के दलदल में क्यों फंसे रहते हो । आलस त्याग, जिस्म को झटककर बाहर निकलो और टूट पड़ो ।”
–अण्णाभाऊ साठे