मुख्यपृष्ठरहीमरहीम जी के दोहे/ विचार रहीम जी के दोहे/ विचार 0 Tarksheel Adda अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान।~ रहीम Tags रहीम और नया पुराने