रामस्वरूप वर्मा : परिनिर्वाण दिवस


जिसमें समता की चाह नहीं, वह बढ़िया इंसान नहीं।
समता बिना समाज नहीं, बिन समाज जनराज नहीं।

रामस्वरूप वर्मा

जानो तब मानो।

रामस्वरूप वर्मा

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