नारायण गुरू के विचार


यह है एक आदर्श निवास,
रहते हैं जहां मनुष्य बंधुवत्,
मुक्त हो धार्मिक द्वेषभाव और
जातिगत संकीर्णताओं से

नारायण गुरु

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