अगर अंधविश्वास है, तो शिक्षा क्यों? अगर प्रेम में विश्वास है, तो परीक्षा क्यों?तुम्हारी आस्था ही अंधविश्वास की जननी है।स्त्रियों की दशा भी वैसी ही है जैसे तुम्हारी "चलनी" है।अगर कुरीतियों को ही ढोना है,फिर अधिकारों के लिए किस बात का रोना है।बात सामाजिक और लैंगिक समानता की करती हो,तो फिर करवा चौथ छोड़ने से क्यों डरती हो?