ज्योतिराव फुले के विचारों का संग्रह

महात्मा ज्योतिबा फुले के विचार 

1. अज्ञानता मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, इसलिए ज्ञान से अज्ञानता को खत्म करो।

महात्मा ज्योतिबा फुले

2. अगर पत्थर में मंत्रों के जरिए देवता आ सकते हैं तब तो मंत्रों के जरिए मुर्दों को भी जिंदा किया जा सकता है।

ज्योतिराव फुले

3. संसार का निर्माणकर्ता एक पत्थर विशेष या स्थान विशेष तक ही सीमित कैसे हो सकता है। 

ज्योतिराव फुले



4. अगर पूजा, पाठ, हवन यज्ञ और दान-दक्षिणा से भगवान या देवी देवता किसी के पाप को साफ कर देते हैं तो, उस भगवान से बड़ा कोई भ्रष्टाचारी और रिश्वतखोर और कोई नहीं।

ज्योतिराव फुले 



5. जब कोई शुद्र, हवन,यज्ञ, पूजा - पाठ करने लगे तो तुरंत समझ जाना 
उसके पास औकात से ज्यादा पैसे हो गए हैं...!! 

 ज्योतिबा फूले



6. यदि तुम परिवर्तन की राह पर चलते हो तो, तुम्हारे विरोध की शुरुआत सबसे पहले तुम्हारे घर परिवार से ही होगी

 – ज्योतिराव गोविन्दराव फुले


7. किसी भी देश में किसी भी धर्म को कोई किताब भगवान ने नहीं लिखी है, हर किताब मनुष्य ने लिखी है और धर्म पंडितों ने बार - बार कहकर यह बात हमारे दिमाग में भर दी है कि यह भगवान की आज्ञा है ताकि हम कोई सवाल न उठा सकें।


ज्योतिबा फुले


8. मंदिरों में स्थित देवगण ब्राह्मण पुरोहितों का ढकोसला है।


ज्योतिबा फुले 



9. शिक्षा उसे कहते हैं,जो सही को सही और गलत को गलत कहने की क्षमता को विकसित करती है।
- राष्ट्रपिता ज्योतिबा राव फुले
10. संसार का निर्माणकर्ता एक पत्थर विशेष या स्थान विशेष तक ही सीमित कैसे हो सकता है। 



ज्योतिबा फुले
11. संसार का निर्माणकर्ता एक पत्थर विशेष या स्थान विशेष तक ही सीमित कैसे हो सकता है। 

ज्योतिबा फुले

12. शिक्षा के बिना समझदारी खो गई, समझदारी के बिना नैतिकता खो गई , नैतिकता के बिना विकास खो गया, धन के बिना शूद्र बर्बाद हो गया . शिक्षा महत्वपूर्ण है।

ज्योतिबा फुले

13. मंदिर का मतलब होता है.... मानसिक गुलामी का रास्ता...!
स्कूल का मतलब होता है..जीवन में प्रकाश का रास्ता..!!


14. यह संसार सोए हुए लोगों की भीड़ है, और सोए हुए लोग जागे हुए आदमी को बर्दास्त नहीं करते।

ज्योतिबा फुले

15. अनपढ़ , अशिक्षित जनता को फंसाकर वे अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं और यह वे प्राचीन काल से कर रहें हैं . इसलिए आपको शिक्षा से वंचित रखा जाता है।

ज्योतिबा फुले 

16. स्वार्थ अलग अलग रुप धारण करता है, कभी जाति का तो कभी धर्म का।

ज्योतिबा फुले


17.वे अनपढ़, गंवार लोगों को फंसाकर किसी भी तरह अपना काम पूरा करना चाहते हैं और प्राचीन काल से ही वे ऐसा करते आ रहे हैं। इसलिए तुम्हें शिक्षा से वंचित कर दिया गया है।

महात्मा ज्योतिबा फुले 

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