1. सारे पुराने धर्मों ने ईश्वर का भय सिखाया है ! और जिसने भी ईश्वर का भय सिखाया है, उसने पृथ्वी पर अधर्म के बीज बोए हैं। क्योंकि भयभीत आदमी धार्मिक हो ही नही सकता। भयभीत आदमी धार्मिक दिखाई पड़ सकता है।
ओशो
2. यज्ञ हवन में फेंका गया घी, चावल, गेहूं पागलपन है, विक्षिप्तता है, अपराध है। देश भूखा मरता है और हजारों मन अनाज, सैकड़ों पीपे घी प्रतिवर्ष बहाया जाता है। तुम पागल हो यह धर्म नही है।
ओशो
3. भारत ने ज्ञान की ऊंचाइयों को छुआ था, लेकिन बाद में ज्ञान के अहंकार और धर्म के झूठे पाखंड ने, इसे पतन की ओर धकेल दिया।
ओशो
4. जिस देश के विद्यालयों की छत बारिश से टपकती हों और वहाँ के मंदिरों की छत सोने से जड़ी हों तो वह देश कभी विकसित नहीं हो सकता।
ओशो
5. जब तक धर्मों में पाप धोने की व्यवस्था है, लोग पाप धो - धो कर पाप करेंगे।
ओशो
6. आदमी मुर्दे को पूजता है, अस्थियां पूजी जाती हैं। राख पूजी जाती है। लाशें पूजी जाती है। और जीवंत का तिरस्कार होता है। आदमी अद्भुत है।
ओशो
7. आज तक कोई भी आस्तिक! तर्क में, कभी किसी नास्तिक से नहीं जीत पाया...
- ओशो
8. भीड़ भ्रम पैदा करती है।
~ ओशो
10. धरती लहू लुहान हो गई इन्ही धर्मों के नाम पर और फिर भी तुम पूछते हो कि मैं धर्मों के खिलाफ क्यों बोलता हूं।
11. जिसके पास जितना कम ज्ञान होगा, वो अपने ज्ञान के प्रति उतना हठी होगा।
ओशो
12. आत्मविश्वास का अभाव ही सभी अंधविश्वासों का जनक है।
ओशो
13. मनुष्य बगैर मुहूर्त के जन्म लेता है और बगैर मुहूर्त के उसकी मृत्यु हो जाती है, लेकिन सारी उम्र शुभ मुहूर्त के पीछे भागता रहता है। -: ओशो
14. स्त्री सबको पसंद हैं
पर उसकी स्वतंत्रता किसी को पसंद नहीं है।
- ओशो
15. जब एक व्यक्ति मूर्खता करे तो उसे मूर्ख कहते हैं, जब अनेक व्यक्ति मूर्खता करें तो उसे पागलपन कहते हैं। और जब लाखों - करोड़ों लोग वही मूर्खता करें तो,
उसे धर्म कहते हैं।
ओशो
16. जो निःशुल्क है वही सबसे ज़्यादा क़ीमती है; नींद, शांति, आनंद, हवा, पानी और सबसे ज़्यादा हमारी साँसें
ओशो
17. जो क्रोधित हो गया समझो वो हार गया ।
ओशो
18. झूठा इंसान अंत में अपने सिवाए किसी को धोखा नहीं दे सकता।
ओशो
19. लोग नेकी भी उसी उम्र में करते हैं, जब वो गुनाह करने के लायक नहीं रहते.!
ओशो
20. सांसों का रूक जाना ही मृत्यु नहीं है। वह व्यक्ति भी मरा हुआ ही है
जिसने गलत को गलत कहने की नैतिकता खो दी है।
ओशो