ललई सिंह यादव

भारत में वर्ण-जाति आधारित भेदभाव और शोषण का आधार तथा पोषक धर्म-ग्रन्थ ही हैं, ऐसे में समाज-सुधार से समाज ज्यादा नहीं बदलने वाला, बल्कि शोषित और उत्पीड़ित की मुक्ति उस व्यवस्था से अलग होकर ही संभव है। 

ललई यादव

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