बहिष्कृत हितकारिणी सभा : आज का इतिहास (20 जुलाई 1924)


स्थापना

बहिष्कृत हितकारिणी सभा दलितों एवं अस्पृश्य लोगों की उन्नति के लिए एक सामाजिक निर्माण की दृष्टि से खड़ा किया एक आंदोलन था. बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना डॉ. भीमराव आंबेडकर जी ने 20 जुलाई 1924 को मुंबई में की थी. सामाजिक और राजनैतिक दृष्टि से अतिदीन, अतिपीड़ित भारतीयों को समाज में औरों के बराबर लाना, इस सभा का प्रमुख ध्येय था.

भीमराव आंबेडकर के अनुसार दलित को समाज के बाहर रखा जाता था. उन्हें नागरी, धार्मिक और राजनैतिक अधिकार नहीं दिए गए थे. दलितों के अंदर उनके अधिकारों के प्रति जागृती निर्माण करना यह डॉ. भीमरावआंबेडकर का उद्देश था. अपने समाज के तरफ से डॉ. भीमरावआंबेडकर जी ने सायमन कमिशन को एक पत्र सादर किया और उसमें भीमराव ने पिछडों के नामनिर्देशक तत्त्वों पर जगह आरक्षित रकने की मांग की. उन्होंने पिछडों के लिए भरती करने की मांग की थी. निचली जाती के लोगों में शिक्षा का प्रसार होने और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिती सुधरे इसलिए डॉ. भीमरावआंबेडकर ने ‘बहिष्कृत हितकारिणी संघटना’ की स्थापना की थी.

बहिष्कृत हितकारिणी सभा के उद्देश्य इस प्रकार थे
– छात्रावास खोलकर या ऐसे अन्य साधनों को नियोजित करके शोषित वर्ग के बीच शिक्षा के प्रसार को बढ़ावा देना डॉ. भीमरावआंबेडकर का उद्देश्य था.
– निराश अध्ययन मंडलियों के बीच संस्कृति के प्रसार को बढ़ावा देना डॉ. भीमरावआंबेडकर का उद्देश्य था.
– औद्योगिक और कृषि विद्यालय शुरू करके दलित वर्गों की आर्थिक स्थिति को आगे बढ़ाने और सुधारना डॉ. भीमरावआंबेडकर का उद्देश्य था.
– अछूतों की कठिनाइयों को दूर करने और उनकी शिकायतों को सरकार के सामने रखने के लिए बनाई गई एक केंद्रीय संस्था थी.
– अछूतों के बीच एक नई सामाजिक-राजनीतिक जागरूकता लाना डॉ. भीमरावआंबेडकर का उद्देश्य था.



बहिष्कृत हितकारिणी सभा इतिहास
मार्च 1924 में अछूतों के उत्थान के लिए सामाजिक आंदोलन शुरू करने के लिए डॉ. बाबासाहेबअम्बेडकर ने 9 मार्च 1924 को दामोदर हॉल, बॉम्बे में एक बैठक बुलाई, जिसमें अछूतों की कठिनाइयों को दूर करने और उन्हें रखने के लिए एक केंद्रीय संस्थान की स्थापना की वांछनीयता पर विचार किया गया.

सरकार के समक्ष शिकायतें बहुत चर्चा और बहस के बाद, यह संकल्प किया गया कि एक संस्था की स्थापना की जाए और इसके अनुसार 20 जुलाई 1924 को ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ शीर्षक के तहत स्थापित किया गया था. इस संघटन द्वारा शोलापुर में 4 जनवरी, 1925 में एक वसतिगृह शुरू करके दलित, गरीब छात्रों को निवास, भोजन, कपड़े व शिक्षा संबंधी साधन सामग्री दी. वहीं डॉ. भीमरावआंबेडकर ने इस वसतिगृह को शोलापूर नगरपालिका की तरफ से रुपये 40,000 का अनुदान दिलवाया. बहिष्कृत हितकारिणी सभा ने ‘सरस्वती विलास’ नाम का मासिक और एक मुफ्त वाचनालय भी शुरू किया. 

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