दीनाभाना वाल्मिकी : परिनिर्वाण दिवस | विचार


‘जिस समाज की गैर-राजनितिक जड़े मज़बूत नहीं होती है, उनकी राजनीती कामयाब नहीं हो सकती’ ।

दीनाभाना बाल्मीकि


यदि दीनाभाना न होते तो न बामसेफ होता और न ही व्यवस्था परिवर्तन हेतु अंबेडकरवादी जन आंन्दोलन चल रह होता। शायद इस देश में जय भीम का नारा भी गायब हो गया होता।

-जिगर श्यामलन

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