क्या ईश्वर का अस्तित्व है?

क्या ईश्वर का अस्तित्व है ?


मानव जाति में ईश्वर हमेशा ही रहस्यपर्ण और विवादास्पद रहा है।


वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर के बनने की प्रक्रिया ब्रम्हांड के बनने से ही शुरू हो गई थी। क्योंकि जिन जिन परमाणुओं से मनुष्य का शरीर बना है ये सभी परमाणु तभी बन गए थे।
करोड़ो सालों के बाद प्रगति दर प्रगति तथा जैविक परिवर्तन करते हुए आधुनिक मानव से मिलता जुलता मनुष्य अस्तित्व में आया। 
तब तक किसी ईश्वर का नामोनिशान नहीं था।
आदिम समाज में मनुष्य सभ्यता की आरंभिक अवस्था में था और उस समय उसकी बुद्धि का विकास भी एक साधारण बच्चे की बुद्धि के समान ही था इसलिए वह बच्चों की भांति अंधेरे अपरिचित स्थान अपरिचित वस्तु से भय खाता था इसी भय ने उसके मन में काल्पनिक देवताओं की रचना की।


बिजली का चमकना, बरसात, आग आदि से भयभीत हो जाया करता था उन्हें  शक्तिमान समझकर उनकी पूजा आराधना करने लगता और कालांतर में इन्हें सूर्य देव, अग्नि देव, इंद्र देव आदि नाम दिए गए।
जब प्राकृतिक आपदाएं बाढ़, भूकंप, जंगलों में आग लगती तो कबीलों के ज्यादा होशियार लोग ईश्वर को नाराज बता कर पूजा, आराधना तथा बलि देने की सलाह देते थे।
 धीरे-धीरे उसके कबीले के वीर और शक्तिशाली पुरुष भी मृत्यु के उपरांत इन कल्पी देवताओं की मंडली में शामिल होने लगे धीरे-धीरे यहीं पे ही धर्म का स्थान लेता गया।


पुरानी सभी सभ्यताओं की खुदाई से पता चला है कि कमोवेश सभी के सभी अपनी बुद्धि और भौगोलिक स्थिति के अनुसार अलग अलग देवताओं का आविष्कार किया था लेकिन सबका लक्ष्य एक ही जिस घटना को समझने में असफल होते वही ईश्वर का अस्तित्व खोज लेते और अपने धर्म से जोड़ देते ।

संसार में सैकड़ों की संख्या में धर्म है। हर धर्म का अपना ईश्वर, भगवान, अवतार या पैगंबर हैं। हर धर्म के अपने अलग-अलग शास्त्र और धर्म ग्रंथ हैं। हर धर्म के अपने अलग-अलग कर्म, विचार, सामाजिक नियम और रीति रिवाज हैं। 

कोई धर्म कहता है कि आत्मा अमर है जो मरती नहीं सिर्फ शरीर मरती है आत्मा पुनः नए शरीर में जन्म लेती है।
कोई धर्म कहता है कि मैं रूह हूं मरने के बाद कब्र में सुला दिया जाऊंगा और कयामत के दिन जब दुनिया खत्म होगी तो मुझे कब्र से निकालकर न्याय किया जाएगा।
कोई धर्म कहता है कि मैं आत्मा हूं जो मर कर अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक भेज दिया जाऊंगा।

आपको इस प्रकार के अन्य सैकड़ों उत्तर मिल जाएंगे इन सैकड़ों उत्तरों से आपकी समझ में वह बात आ जानी चाहिए जो सत्य है, सत्य है कि यह सभी उत्तर गलत है।
यह सारे असत्य उत्तर हैं इनसे किसी भी प्रश्न के हल होने की उम्मीद मत कीजिए आज तक इन बेवकूफी भरे उत्तरों से सिर्फ लोगों को मूर्ख बनाया गया है आपको ही नहीं बल्कि पूरी मानव जाति को मूर्ख बनाया गया है।

एक बात जो आज पूरी मानव जाति जानती है वह यह है कि सत्य हमेशा एक होगा अगर आप 2 में 3 जोड़ते हैं तो उत्तर 5 ही होगा चाहे वह पृथ्वी के किसी भी भाग के लोग हो चाहे वह किसी भी धर्म के लोग हैं चाहे वह किसी भी देश के लोगों उनका सही उत्तर सहित स्थितियों में एक ही होगा।
 फिर क्या बात है कि अपने विषय में सभी धर्मों के उत्तर अलग-अलग हैं?
अगर एक भी धर्म ने इस प्रश्न का उत्तर वैज्ञानिक रूप से सिद्ध कर दिया होता और वैज्ञानिकों ने उसे प्रमाणित कर दिया होता तो सारी दुनिया में बाकी धर्मों की मूर्खतापूर्ण व्याख्यान अब तक खत्म हो गई होती आज भी यह सभी मूर्खतापूर्ण बातें चल रही है क्योंकि कोई भी धर्म इसे सिद्ध नहीं कर सका कि वह सही है।

आप मेरी बात नहीं मानते कोई बात नहीं इन सभी धर्मों तथा विचारकों की किताबें आप उठा कर देख ले उनमें ब्रह्मांड और पृथ्वी के संबंध में कैसी कैसी बातें लिखी गई हैं उनमें से कुछ आपको मैं बताता हूं जिन्हें वे धर्म सत्य मानते हैं यह सभी बातें अलग-अलग धर्मों के बारे में आपके विचार बदल देंगी।
कोई धर्म लिखता है कि आकाश पाताल और मृत्यु लोक यह तीन लोक होते हैं।
कोई धर्म लिखता है कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है।
कोई धर्म लिखता है कि सूर्य चांद तारे सभी ग्रह पृथ्वी के चक्कर लगाते हैं।
कोई धर्म लिखता है कि उनके अल्लाह ने पृथ्वी को 6 दिन के अंदर बनाया।
कोई धर्म लिखता है कि हमारी पृथ्वी कछुए की पीठ पर टिकी है।
कोई धर्म लिखता है कि सूर्य घोड़ों के रथ में सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाता है।
इस तरह की बहुत सारी बातें आपको सभी धर्मों में मिल जाएंगी क्या आप समझते हैं कि विभिन्न धर्म ग्रंथों में लिखी यह बातें सत्य हैं आज संसार का बच्चा-बच्चा जानता है कि सत्य क्या है।
जब गैलीलियो ने पहली बार प्रयोग किया और अपनी पुस्तक में इस सत्य को लिखा कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है ना कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है। तब धर्म अधिकारियों ने उन पर मुकदमा चलाया कि उन्होंने धर्म का अपमान किया है उन्होंने असत्य बातें अपनी किताब में लिखी हैं धर्म ग्रंथ जो कहता है वही बातें सत्य है गैलीलियो को अपमानित किया गया बाकी जीवन कारावास में गुजारना पड़ा और कष्ट सहते हुए उनकी मृत्यु हुई आज आप भी जानते हैं कि सत्य क्या है, सारे धर्म सही हैं या गैलीलियो।

यूरोप में प्राचीन देवताओं में बहुत विश्वास था परंतु  सुकरात जैसे अनेकों यूनानी दार्शनिकों  ने उन देवताओं के अस्तित्व में संदेह व्यक्त किया और उनकी खिल्ली उड़ाई जीसस क्राइस्ट ने पुराने धर्म की धज्जियां उड़ाई और इसाई धर्म कायम किया भारतीय दार्शनिक ओशो रजनीश ने भी प्राचीन धर्मों में संदेह व्यक्त किया और नए पंथ की स्थापना की इन तथ्यों से सर्वव्यापी ईश्वर की धारणा खंड खंड हो जाती है अतः यह स्पष्ट है कि एक समय में विद्यमान ईश्वर का स्वरूप दूसरे समय और स्थान में भले ही स्वीकार किया जाता रहा है परंतु प्रत्येक काल में जब काल्पनिक ईश्वर चेतना में एक कृति का रूप धारण कर लेता है तो उसे चेतना से बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है ।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.